अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण में अंतर स्पष्ट करें

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"अवतल दर्पण" और "उत्तल दर्पण" दोनों ही दर्पण के प्रकार हैं, लेकिन इनमें अंतर है:

अवतल दर्पण:

विशेषता: अवतल दर्पण एक आधिकारिक दर्पण है जो एक समतल सतह पर एक सुरक्षित तथा स्थिर चित्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इसमें एक स्थिर पृष्ठ होता है जो रोशनी को सुरक्षित रूप से उत्तल करता है, और दूसरा पृष्ठ जो चित्र को दर्शक की दिशा में प्रतिबिंबित करता है।

उत्तल दर्पण:

विशेषता: उत्तल दर्पण एक विशेष प्रकार का दर्पण है जो रोशनी को एक समय में एक ही स्थान पर समेत करता है। इसमें दो साधने होते हैं: एक साधन जो रोशनी को स्थिर पृष्ठ पर पहुंचाता है, और एक दूसरा साधन जो चित्र को दर्शक की दिशा में प्रतिबिंबित करता है। उत्तल दर्पण उत्तल स्थिति में इस्तेमाल होता है जब एक स्थान पर चित्र को बनाने की आवश्यकता होती है।

मुख्य अंतर:

  1. अवतल दर्पण एक समतल सतह पर सुरक्षित चित्र बनाने के लिए होता है, जबकि उत्तल दर्पण रोशनी को एक ही स्थान पर समेत करता है।
  2. अवतल दर्पण में दो स्थिर पृष्ठ होते हैं, जबकि उत्तल दर्पण में एक स्थिर पृष्ठ और एक गतिशील पृष्ठ होता है।
  3. अवतल दर्पण एक समय में एक ही स्थान पर चित्र को बनाने के लिए इस्तेमाल होता है, जबकि उत्तल दर्पण रोशनी को एक समय में एक ही स्थान पर समेत करता है।
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