हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु-सरस्वती सभ्यता भी कहा जाता है, विश्व की सबसे प्राचीन और सबसे विकसित सभ्यताओं में से एक थी जो आस-पास 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व के बीच बसी रही। हड़प्पा सभ्यता ने भूमि सुधारने के लिए कई उन्नततम तकनीकों का उपयोग किया और व्यापारिक गतिविधियों में भी सक्षम थी।
1. व्यापारिक गतिविधियाँ: हड़प्पा सभ्यता व्यापार में सक्षम थी और सारे समृद्धि युग में एक बड़े व्यापार नेटवर्क का प्रमुख हिस्सा था। मुख्यत: मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, लोथल, राखीगढ़ी, हरप्पा, और कलीबंजर जैसे स्थानों से उदाहरण लिया जा सकता है, जो व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र थे। यहां से नकदी, समरूपी वस्त्र, मृदा उत्पाद, और अन्य वस्तुएं अन्य स्थानों तक वितरित होती थीं।
2. सामृद्धिक संबंध: हड़प्पा सभ्यता के लोग अपने व्यापारिक गतिविधियों के लिए दूरस्थ स्थानों के साथ संबंध बनाए रखते थे। इसका सबसे बड़ा सबूत ताजिकिस्तान के चागईरीगा स्थित बर्ग-ई-माला से मिला, जो यहां से निकलने वाले सामान्यत: चाँदी के सिक्के द्वारा प्रमाणित है।
3. संबर्धन और विनिमय: हड़प्पा सभ्यता में संबर्धन और विनिमय के लिए विभिन्न आदान-प्रदान के रूप में दूरस्थ यात्राएँ होती थीं। इसमें चीनी, सुनहरे और अज्ञेय धातुएं, मूँगफली, सरसों, और अन्य उत्पाद शामिल थे।
4. उद्यमीता: हड़प्पा सभ्यता ने उद्यमीता का अद्भुत प्रदर्शन किया। इसमें सड़कें, निर्मित सरकारी भव्य भवन, सार्वजनिक स्नानघर, बड़े व्यापारिक स्थल, और निगमन सुविधाएं शामिल थीं।
5. वाणिज्यिक यातायात: हड़प्पा सभ्यता में वाणिज्यिक यातायात का प्रमुख साधन सामुद्रिक यातायात था। विशेषकर मोहनजोदड़ो से सांगर, लोथल, और कलीबंजर जैसे स्थानों तक सागर मार्ग से व्यापार किया जाता था।
इन सभी कारणों से हड़प्पा सभ्यता को व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है, जिसने अपनी विकसित तकनीकी, सामाजिक, और आर्थिक स्थिति के माध्यम से आस-पास के क्षेत्रों के साथ व्यापारिक आलोचना की।