प्रबंधन लेखांकन के नुकसान

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प्रबंधन लेखांकन के नुकसान (Disadvantages of Management Accounting); प्रबंधन लेखांकन, जिसे प्रबंधकीय लेखांकन या लागत लेखांकन के रूप में भी जाना जाता है, में निम्नलिखित शामिल हैं: लेखांकन जानकारी की पहचान, माप, विश्लेषण और व्याख्या।

प्रबंधन लेखांकन के कुछ सम्भावित नुकसान एवं सीमाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. मूल्य निर्धारण (Costing) में जटिलता

    • गतिविधि-आधारित लागत निर्धारण (ABC) एवं पारंपरिक लागत विधियों की जटिलता छोटे या साधारण उद्योगों के लिए भारी एवं अनुपयुक्त हो सकती है।

  2. उच्च लागत (High Implementation Cost)

    • उपयुक्त सॉफ्टवेयर, प्रशिक्षण, विशेषज्ञों की नियुक्ति आदि में प्रारंभिक एवं निरन्तर व्यय अपेक्षाकृत अधिक होता है।

  3. कालबद्धता (Time-Consuming Processes)

    • विस्तृत बजट तैयार करना, अनुमानित आंकड़ों का संकलन एवं विविध विश्लेषण समय-साध्य होते हैं, जिससे निर्णय लेने में विलम्ब हो सकता है।

  4. अनुमान एवं अनुमानित आँकड़ों पर निर्भरता (Reliance on Estimates)

    • प्रबंधन लेखांकन में बहुत कुछ अनुमानित आंकड़ों पर आधारित होता है; यदि अनुमान गलत हो तो निर्णय भी त्रुटिपूर्ण होंगे।

  5. विषयात्मकता (Subjectivity)

    • विभिन्‍न मानदंड (比如 KPI का चयन) एवं लागत आवंटन विधियों में प्रबंधकीय निर्णयों का व्यक्तिगत दृष्टिकोण आ सकता है, जिससे निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।

  6. केवल आन्तरिक उपयोग (Internal Focus Only)

    • बाहरी हितधारकों (उदाहरणतः निवेशक, ऋणदाता) के लिए उपयोगी नहीं; केवल प्रबंधन को सूचित करता है, अतः समग्र वित्तीय पारदर्शिता में योगदान सीमित होता है।

  7. सूचना अधिभार (Information Overload)

    • अत्यधिक विवरण वाले रिपोर्ट्स प्रबंधकों को आवश्यक जानकारी से विचलित कर सकते हैं; महत्वपूर्ण आंकड़े खो जाने का जोखिम रहता है।

  8. जानकारी का हेरफेर (Manipulation Risk)

    • बजट व अनुमानित आंकड़ों को इच्छानुसार सजो-संवार कर पेश किया जा सकता है, जिससे वास्तविक स्थिति से छेड़-छाड़ हो सकती है।

  9. कौशल और प्रशिक्षण की आवश्यकता (Need for Skilled Staff)

    • प्रभावी प्रबंधन लेखांकन हेतु कुशल वित्त एवं लेखा विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है; संसाधन-संकटग्रस्त संगठन इसमें कठिनाई महसूस कर सकते हैं।

  10. परिवर्तनशीलता के प्रति असहजता (Resistance to Change)

    • पारंपरिक लेखा-प्रणाली से प्रबंधन लेखांकन की ओर संक्रमण में कर्मचारी व प्रबंधकों में प्रतिरोध एवं अनुकूलन की चुनौतियाँ होती हैं।

प्रबंधन लेखांकन की सीमाएं: प्रबंधन लेखांकन प्रबंधन के लिए विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है। फिर भी, इसमें कुछ सीमाएं हैं।

य़े हैं:

  • हम जानते हैं कि प्रबंधन लेखांकन वित्तीय लेखा और लागत लेखांकन से इसकी जानकारी प्राप्त करता है। इसलिए, प्रबंधन एकाउंटेंट द्वारा निष्कर्ष निकाले गए इन दो (वित्तीय लेखा और लागत लेखांकन) अभिलेखों की शुद्धता पर काफी हद तक निर्भर करते हैं। इसलिए, यदि वित्तीय और लागत के रिकॉर्ड से एकत्र किए गए पिछले डेटा को गलत पाया जाता है, तो उपरोक्त के आधार पर प्रबंधन एकाउंटेंट द्वारा सुझाए गए निर्णय भी गलत होंगे।
  • निर्णय लेने के लिए, प्रबंधन को विभिन्न क्षेत्रों, जैसे लेखा, अर्थशास्त्र, सांख्यिकी, कराधान इत्यादि में पूर्ण ज्ञान होना चाहिए, लेकिन, व्यावहारिक रूप से, यह पाया जाता है कि कुछ निर्णय लेने के लिए सौंपा गया व्यक्ति इस तरह के पर्याप्त ज्ञान नहीं है ।
  • किसी चिंता में प्रबंधन लेखा प्रणाली की शुरूआत के लिए एक बड़े संगठन की आवश्यकता होती है क्योंकि यह बहुत महंगा है। इसलिए, छोटी चिंताओं को इस प्रणाली को अपनाने का जोखिम नहीं उठा सकता है।
  • प्रबंधन एकाउंटेंट द्वारा निकाले गए निष्कर्ष संगठन के विभिन्न स्तरों पर लागू किए जाने चाहिए। लेकिन यह अक्सर अव्यवहारिक पाया जाता है।
  • वर्तमान में, प्रबंधन लेखांकन विकास की प्रक्रिया में है, यानी, यह अभी भी विकास की स्थिति में बहुत अधिक है। इसलिए इसे अवधारणाओं की तरलता, तकनीकों के सुधार आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • हम जानते हैं कि कुछ समस्याएं हैं जिन्हें पैसे के संदर्भ में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, इन्हें भविष्य के लिए व्याख्या नहीं किया जा सकता है और प्रबंधन इकाई की भी मदद नहीं कर सकता है।
  • कभी-कभी प्रबंधन एकाउंटेंट द्वारा अपने विभिन्न चरणों में हेरफेर का एक बड़ा दायरा होता है; इसलिए, यह निष्पक्षता और वैधता खो सकता है।
  • प्रबंधन लेखा प्रणाली द्वारा लागू प्रबंधन लेखा प्रणाली का आवेदन वैकल्पिक या वैकल्पिक प्रशासन का विकल्प नहीं है। व्यावहारिक रूप से, यह अच्छा प्रशासन और प्रबंधन का पूरक है और कुछ भी नहीं।


संक्षेप में, प्रबंधन लेखांकन संगठन को विश्लेषणात्मक एवं नियंत्रकीय दृष्टिकोण तो प्रदान करता है, परन्तु इसकी जटिलता, उच्च लागत, अनुमानित आँकड़ों पर निर्भरता तथा प्रशिक्षण एवं समय की मांग इसे सभी प्रकार के व्यवसायों के लिए अपनाने में बाधित कर सकती है।

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