ग्रामीण अर्थव्यवस्था आणि शहरी अर्थव्यवस्था

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था और शहरी अर्थव्यवस्था: ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे से विभिन्न हैं

ग्रामीण अर्थव्यवस्था:

  • कृषि-केंद्रित: ग्रामीण अर्थव्यवस्था अक्सर कृषि-केंद्रित होती है, जिसमें लोग मुख्य रूप से खेती के लिए व्यापार, उद्योग, और सेवाओं से जुड़े होते हैं।
  • परंपरागत और स्थायी आधार: ग्रामीण अर्थव्यवस्था अक्सर परंपरागत होती है और लोग स्थायी आधार पर जीते हैं, जो अपने आत्मनिर्भरता में मदद करता है।
  • सामाजिक संरचना: गाँवों में सामाजिक संरचना मजबूत होती है और लोग एक-दूसरे के साथ सजीव संबंध बनाए रखने में रुचाएं रखते हैं।
  • आर्थिक स्तर पर समरसता: ग्रामीण समुदायों में लोग आपस में आर्थिक समरसता की भावना रखते हैं और सामूहिक रूप से काम करते हैं।
  • पर्यावरण से जुड़ी आधारित: ग्रामीण अर्थव्यवस्था अक्सर पर्यावरण से जुड़ी होती है, जिसमें लोग अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से प्रबंधन करने का प्रयास करते हैं।

शहरी अर्थव्यवस्था:

  • उद्योग-केंद्रित: शहरी अर्थव्यवस्था में उद्योग और व्यापार महत्वपूर्ण होते हैं, और लोग अक्सर सेवाएं और उद्योगों में रोजगार प्राप्त करने के लिए शहरों की ओर आते हैं।
  • नौकरी की आवश्यकता: शहरी स्थानों में ज्यादातर लोगों को नौकरी की आवश्यकता होती है, और यहां उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की अधिक संभावना होती है।
  • आर्थिक विकास और मॉडर्नीकरण: शहरी अर्थव्यवस्था अक्सर आर्थिक विकास और मॉडर्नीकरण के प्रति जोर देती है, जिससे जीवन शैली में बदलाव होता है।
  • भिन्नता और अत्याधुनिक सुविधाएं: शहरी स्थानों में भिन्नता और विभिन्न सुविधाएं होती हैं, जैसे कि अत्याधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और भौतिक सुविधाएं।
  • आत्मनिर्भरता की कमी: शहरी अर्थव्यवस्था में लोग अक्सर आत्मनिर्भरता की कमी महसूस करते हैं और वहां का जीवनस्तर अधिकतम रहता है।

समाप्तिः

ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे से विभिन्न होती हैं और इनमें अपनी विशेषताएं होती हैं जो समुदायों को अलग-अलग तरीके से आदर्श बनाती हैं।

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