तिलंका विवाद, जो भारत और श्रीलंका के बीच हुआ था, उसने दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित किया। इसे भी "भू-मतभेद" या "तिलंका समस्या" कहा गया है। इस मतभेद के कई कारण थे जो निम्नलिखित हैं:
- जल, भू-सुधार और सीमा समस्याएं: भारत और श्रीलंका के बीच सीमाओं पर कई विवाद थे, जिसमें समुद्री सीमा, सीमांत क्षेत्रों का प्रबंधन, और समुद्री संवर्धन का मुद्दा था।
- कौटिलीकृत सीमा रेखाएं: विशेषकर, तिलंका समस्या में कई स्थानों पर सीमा रेखाएं कौटिलीकृत थीं, जिससे समस्याएं उत्पन्न हुईं और सुलझाने में समय लगा।
- समुद्री सीमा विवाद: श्रीलंका के तट क्षेत्रों का प्रबंधन और समुद्री सीमा का मुद्दा एक महत्वपूर्ण कारण था। भारत और श्रीलंका दोनों ही समुद्री संसाधनों के लिए संघर्ष में थे।
- समुद्री सुरक्षा और चिन्हांकन: तिलंका क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के मुद्दे भी थे जिसमें दोनों देशों ने अपनी समुद्री सीमा को सुरक्षित करने के लिए नौसेना और सुरक्षा चिन्हांकन की चर्चा की।
- समृद्धि और समाजिक मुद्दे: श्रीलंका में तमिल नागरिकों के साथ संबंधित भारतीय समर्थन ने इस विवाद को और बढ़ा दिया, क्योंकि भारत में भी एक बड़ी तमिल समुदाय था।
यह मतभेद समाधान के लिए दोनों देशों के बीच संविदानिक और राजनीतिक समझौतों की जरूरत पड़ी। तिलंका समस्या का समाधान समझौते के माध्यम से हुआ, जिससे सीमा समस्याएं सुलझ गईं और दोनों देशों के बीच संबंध सुधारे गए।