"सूक्ष्म अर्थशास्त्र" और "स्थूल अर्थशास्त्र" दोनों ही अर्थशास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने वाले शाखाएँ हैं।
सूक्ष्म अर्थशास्त्र (Microeconomics):
- परिभाषा: सूक्ष्म अर्थशास्त्र वह शाखा है जो व्यक्ति, उत्पाद, और बाजार के स्तर पर आर्थिक विचार करती है। इसमें उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच की व्यक्तिगत आर्थिक संबंधों का अध्ययन होता है।
- क्षेत्रेषु शोध: सूक्ष्म अर्थशास्त्र में मूल रूप से उपभोक्ता विवरण, उत्पादकों के निर्णय, बाजार मूल्य निर्धारण, और आय वितरण जैसे मुद्दे शामिल होते हैं।
- उदाहरण: एक उत्पादक जो अपने उत्पादों की मूल्यनिर्धारण करता है या एक उपभोक्ता जो खरीददारी के लिए बाजार में घूम रहा है, सूक्ष्म अर्थशास्त्र के अंतर्गत आता है।
स्थूल अर्थशास्त्र (Macroeconomics):
- परिभाषा: स्थूल अर्थशास्त्र एक शाखा है जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक प्रणाली, सामाजिक प्रणाली, और आय निर्धारण के बड़े पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है।
- क्षेत्रेषु शोध: स्थूल अर्थशास्त्र में ग्रामीण और शहरी आर्थिक प्रणाली, राष्ट्रीय आय निर्धारण, रोजगार दर, मुद्रा नीति, और अर्थव्यवस्था की स्वास्थ्य के बड़े मुद्दे होते हैं।
- उदाहरण: एक देश की समृद्धि दर, ब्रूट नेशनल प्रोडक्ट (जीडीपी), और रोजगार दर स्थूल अर्थशास्त्र के अंतर्गत आते हैं।
सूक्ष्म अर्थशास्त्र और स्थूल अर्थशास्त्र के अध्ययन से हमें व्यक्ति और राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को समझने में मदद होती है, और इससे आर्थिक नीतियों को सुधारने का कार्य किया जा सकता है।