"मिश्रित अर्थव्यवस्था" एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था को कहा जाता है जो एक मिश्रण है बाजार और सरकार के बीच के तत्वों का। इसे "संयुक्त अर्थव्यवस्था" या "बीटीसी" भी कहा जाता है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था में, बाजार के माध्यम से लाभ और संसाधनों का प्रबंधन होता है, लेकिन सरकार भी कुछ हद तक आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करती है। इस प्रणाली में, स्वतंत्र उद्यमिता और निजी मुद्रा के साथ-साथ सरकारी निगरानी और नियंत्रण होता है।
कुछ मुख्य विशेषताएँ:
- स्वतंत्र उद्यमिता: व्यापार और उद्यमिता को स्वतंत्रता से कार्य करने की अनुमति होती है, जो आपत्ति और सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है।
- सरकारी हस्तक्षेप: सरकार विशिष्ट क्षेत्रों में हस्तक्षेप करके नियंत्रण बनाए रखती है, जैसे कि मूद्रा नीति, राजकोष नीति, और विकास परियोजनाएं।
- सामरिक न्याय: मिश्रित अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास किया जाता है, ताकि सामाजिक असमानता को कम किया जा सके।
- विकास: सुविकसित और विकसित क्षेत्रों की सार्थकता को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं आयोजित करती है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था एक समग्र दृष्टि से विकसित होती है जो विशिष्ट आर्थिक प्रणालियों का संयोजन करती है और यह आमतौर पर विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के समृद्धि की दिशा में काम करती है।