बवासीर कितने प्रकार का होता है (Types of Piles or Hemorrhoids)? बवासीर (पाइल्स): परिभाषा, प्रकार एवं परिचर्या; बवासीर, जिसे सामान्य बोलचाल में ‘पाइल्स’ भी कहते हैं, गुदा क्षेत्र में नसों (नालियों) के सूजन या फैलाव की स्थिति है। बढ़ते दबाव के कारण ये नसें फूल जाती हैं, जिससे जलन, दर्द व रक्तस्त्राव जैसी तकलीफें होती हैं।
1. बवासीर के मुख्य प्रकार
A. आंतरिक बवासीर (Internal Hemorrhoids)
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स्थान: गुदा मार्ग (rectum) के अंदर की दीवार पर बनी नसों में सूजन
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लक्षण:
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आमतौर पर दर्द कम, पर मल त्याग के दौरान खून आना
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कभी-कभार गंभीर होने पर गुदा से बाहर निकल (prolapse) सकती हैं
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श्रेणियाँ (Grades):
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ग्रेड I: गुदा के भीतर सूजन, बाहर दिखाई नहीं देती
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ग्रेड II: मल त्याग के दौरान बाहर आती हैं, स्वयं वापस अंदर चली जाती हैं
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ग्रेड III: बाहर आकर डॉक्टर की सहायता से ही वापस जाती हैं
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ग्रेड IV: हमेशा बाहर ही रहती हैं, अपनी जगह पर नहीं टिक पातीं
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B. बाह्य बवासीर (External Hemorrhoids)
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स्थान: गुदा के मुहाने (anal verge) के बाहर की त्वचा के नीचे नसों में सूजन
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लक्षण:
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स्पर्शनीय गांठ जैसा उभार
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खुजली, जलन, दर्द—विशेषकर बैठने पर असुविधा
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कभी-कभार गांठ में थक्का जम जाने से तीव्र दर्द
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C. मिश्रित बवासीर (Mixed Hemorrhoids)
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आंतरिक और बाहरी बवासीर का संयोजन, दोनों ही स्थानों पर सूजन दिखती है।
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लक्षण आंतरिक व बाहरी दोनों प्रकार के मिलाजुला प्रभाव डालते हैं।
2. क्यों होती है बवासीर? (मुख्य कारण)
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कड़ी कब्ज़ (Chronic Constipation): मल सख्त होने पर अधिक जोर लगाने से गुदा की नसों पर दबाव बढ़ता है।
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दस्त (Diarrhea): बार-बार मल त्याग करने से भी जलन व सूजन हो सकती है।
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गर्भावस्था (Pregnancy): बढ़ता गर्भाशय गुदा क्षेत्र की नसों पर दबाव डालता है।
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लंबे समय तक बैठना/खड़े रहना: जहरीलेपन के कारण रक्त संचार प्रभावित होता है।
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भारत में अस्वस्थ जीवनशैली: फाइबर युक्त आहार की कमी, पानी कम पीना।
3. लक्षण एवं संकेत
लक्षण | विवरण |
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दर्द एवं असुविधा | विशेषकर मल त्याग या लंबे समय बैठने पर |
खून आना | मल के साथ या उसके बाद ताज़ा रक्त दिखना |
खुजली और जलन | गुदा क्षेत्र में तीव्र बेचैनी |
गांठ या उभार | गुदा मुहाने के पास स्पर्श पर महसूस होना |
स्राव या सीरप जैसे लिक्विड | नमी या गीला कपड़ा महसूस होना |
4. निदान (Diagnosis)
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दस्ताने से जांच (Digital Rectal Exam): डॉक्टर उंगली से महसूस करके गंभीरता का अंदाज़ा लगाते हैं।
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एनोस्कोपी (Anoscopy): छोटा कैमरा युक्त ट्यूब अंदर डालकर अंदरूनी बवासीर का अवलोकन।
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सिग्मोइडोस्कोपी/कोलोनोस्कोपी: गहरी जाँच के लिए छोटी या पूरी आंत में कैमरा।
5. उपचार एवं देखभाल
घरेलू उपाय
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सुखद बैठने का सल: गर्म पानी में बैठने (सिट्ज़ बाथ) से सूजन कम होती है।
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फाइबरयुक्त आहार: साबुत अनाज, दालें, हरी सब्ज़ियाँ, फल—कब्ज़शमन।
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पर्याप्त जलसेवन: दिन में कम से कम 2–3 लीटर पानी।
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हल्की मालिश: पहले गर्म, फिर ठंडे पानी से सिकाई।
दवा व चिकित्सीय हस्तक्षेप
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क्रीम/मलहम: दर्दनिवारक, खुजलीरोधी और सूजन कम करने वाले टॉपिकल औषधि।
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ओवर-द-काउंटर टैबलेट्स: फाइबर सॉफ्टनर, पेनकिलर।
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बैंड लिगेशन (Rubber Band Ligation): ग्रेड II–III आंतरिक बवासीर के लिए रबर बैंड से वॉल्यूम घटाना।
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स्क्लेरोथेरेपी (Sclerotherapy): रासायनिक इंजेक्शन से नसों का सिकुडाना।
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इन्फ्रारेड कॉयग्यूलेशन: इंफ्रारेड लेज़र से सूजन वाली नस को ठण्डा करना।
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शल्यचिकित्सा (Surgery): गंभीर ग्रेड IV या बार-बार उभरने वाले मामले में हेमोर्रोइडेक्टॉमी।
6. बचाव के उपाय
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नियमित व्यायाम: हल्की वॉक या योगासन (पर्वतासन, भुजंगासन)
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समय पर टॉयलेट जाना: मल त्याग की प्रवृत्ति रोकने से बचें
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अत्यधिक जोर न लगाएं: मल त्याग में आराम से और संयम से प्रयास करें
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लंबे समय न बैठें: बीच-बीच में उठकर थोड़ा व्यायाम करें
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बवासीर कितने प्रकार का होता है (Types of Piles or Hemorrhoids) |
निष्कर्ष
बवासीर एक सामान्य समस्या होते हुए भी जीवन की गुणवत्ता पर गहरा असर डाल सकती है। आंतरिक, बाहरी और मिश्रित—तीनों प्रकार के अपने-अपने लक्षण और उपचार होते हैं। समय रहते सही निदान, स्वस्थ दिनचर्या और चिकित्सकीय सलाह से इससे राहत मिल सकती है। यदि घरेलू उपायों से लाभ न हो, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें ताकि उचित चिकित्सीय प्रक्रिया से दीर्घकालिक समाधान पाया जा सके।