गर्भपात के प्रकार (Types of Abortion) एवं संक्षिप्त विवरण: गर्भपात से आशय गर्भाशय में पल रहे भ्रूण का जानबूझकर या अनियंत्रित तरीके से समाप्त हो जाना है। इसे व्यापक रूप से दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है—स्वैच्छिक (Induced) और अनैच्छिक (Spontaneous) गर्भपात। नीचे इनके मुख्य प्रकार एवं संबंधित प्रक्रियाएँ दिए गए हैं:
1. अनैच्छिक गर्भपात (Spontaneous Abortion / Miscarriage)
जब गर्भधारण के पहले 20 सप्ताह के भीतर भ्रूण असमय ही विकसित होना बंद कर देता है, तो उसे सामान्यतः अनैच्छिक गर्भपात कहा जाता है। इसके कारणों में जेनेटिक विकार, हार्मोनल असंतुलन, गहन संक्रमण या शारीरिक अन्य समस्याएँ शामिल हो सकती हैं।
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संपूर्ण गर्भपात (Complete Miscarriage): सभी भ्रूणीय ऊतक एवं गर्भाशय का अस्तर बाहर निकल जाता है।
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अपूर्ण गर्भपात (Incomplete Miscarriage): कुछ ऊतक गर्भाशय में रह जाते हैं, जिसके लिए चिकित्सकीय हस्तक्षेप (जैसे D&C) की आवश्यकता होती है।
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अनरोध प्रति गर्भपात (Missed Miscarriage): भ्रूण विकास रुक जाने के बाद भी गर्भाशय में बदलाब नहीं होता; लगातार निगरानी या चिकित्सकीय निकासी की सलाह होती है।
2. स्वैच्छिक गर्भपात (Induced Abortion)
जब चिकित्सकीय या कानूनी अनुमति के अंतर्गत गर्भ को समाप्त किया जाता है, तो इसे स्वैच्छिक गर्भपात कहते हैं। यह दो मुख्य विधियों से किया जाता है:
A. चिकित्सीय (Medical) गर्भपात
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औषधि-आधारित (Medication Abortion):
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दवा-क्रम: पहले मिफ़ेप्रिस्टोन (जिसे प्रोजेस्टेरोन अवरोधक भी कहते हैं) लिया जाता है, 24–48 घंटे बाद मिसोप्रोस्टोल नामक गर्भाशय संकुचन बढ़ाने वाली दवा दी जाती है।
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उपयुक्त समय: लास्ट मेन्स के पहले 7–9 हफ्तों तक प्रभावी।
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लाभ: गैर-इनवेसिव, घर पर निगरानी संभव, अस्पताल में केवल एक या दो बार उपस्थित होना होता है।
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चुनौतियाँ: पेट में ऐंठन, रक्तस्राव का असामान्य स्तर, दवा-संबंधित साइड इफेक्ट्स।
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B. शल्यक्रियात्मक (Surgical) गर्भपात
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वैक्यूम अस्पिरेशन (Vacuum Aspiration)
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समय: गर्भधारण के पहले 12–14 सप्ताह तक।
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प्रक्रिया: गर्भाशय मुख से एक नली (कैथेटर) डालकर वैक्यूम पंप से भ्रूणीय ऊतक शोषित किए जाते हैं।
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लाभ: तीव्र, सुरक्षित, स्थानीय एनेस्थीसिया में भी हो सकता है।
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डाइलेशन और क्यूरेटेज़ (Dilation & Curettage – D&C)
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समय: 12–14 सप्ताह के आसपास या आपातकालीन सुधार के लिए।
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प्रक्रिया: गर्भाशय मुख का फैलाव (डाइलेशन) कर क्यूरेट (छड़ जैसी टिप वाला उपकरण) या वैक्यूम असिस्टेंस से अंदरूनी ऊतक हटाए जाते हैं।
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डाइलेशन और इवैकुएशन (Dilation & Evacuation – D&E)
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समय: 14–24 सप्ताह (मध्य–तीसरी तिमाही) में।
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प्रक्रिया: थोड़ी अधिक जटिल—प्रथम गर्भाशय मुख फैलाया जाता है, फिर फेरुएटर्स व वैक्यूम क्लेम्प से ऊतक निकाले जाते हैं।
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इंटेक्ट D&E (Intact Dilation & Extraction)
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समय: 20–24 सप्ताह बाद के कट-ऑफ में, बहुत ही सीमित परिस्थितियों में कानूनी अनुमति के अधीन।
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प्रक्रिया: भ्रूण को बिना विखंडन के बाहर निकाला जाता है; विशेष प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा।
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3. समय के आधार पर वर्गीकरण
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प्रारंभिक गर्भपात (Early Abortion): लास्ट मेन्स के पहले 12–14 हफ्ते
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मध्यावधि गर्भपात (Mid-Trimester Abortion): 14–24 हफ्ते
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देर से किया गया गर्भपात (Late-Term Abortion): 24 सप्ताह से आगे—अत्यंत दुर्लभ, केवल जीवन–रक्षा या गंभीर भ्रूणीय समस्याओं में कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त।
4. कानूनी व नैतिक पहलू
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भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत 20 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति है, विशेष परिस्थितियों में कानूनी संशोधनों द्वारा इसे 24 सप्ताह तक बढ़ाया जा सकता है।
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निर्णय से पूर्व हमेशा प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श आवश्यक, ताकि जोखिम, वैकल्पिक विकल्प एवं बाद की देखभाल को समझकर सुरक्षित विकल्प चुना जा सके।
5. पश्चात देखभाल (Post-Abortion Care)
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चिकित्सीय निगरानी: किसी भी असामान्य रक्तस्राव, तेज दर्द या बुखार पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क।
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भावनात्मक सहायता: गर्भपात के बाद हार्मोनल बदलाव एवं मानसिक प्रभाव हो सकते हैं—परिवार या परामर्शदाता का सहयोग महत्वपूर्ण।
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स्वच्छता और आराम: संक्रमण रोकने के लिए स्वच्छता का ध्यान, कम से कम 1–2 सप्ताह भारी कार्य व संभोग से परहेज।
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फॉलो-अप चेकअप: गर्भाशय की पूर्ण रिकवरी एवं स्वास्थ्य जांच के लिए दो सप्ताह बाद पुनः मुलाकात।
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गर्भपात के प्रकार (Types of Abortion) |
निष्कर्ष
गर्भपात कई प्रकार का होता है—अनैच्छिक (miscarriage) से लेकर चिकित्सीय (दवा या सर्जिकल) रूप—और इसे समय, विधि, कानूनी प्रावधान एवं स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। सुरक्षित और जिम्मेदार निर्णय लेने के लिए योग्य चिकित्सक की सलाह, कानूनी जानकारी तथा भावनात्मक और शारीरिक देखभाल सभी अनिवार्य हैं।