अलि अब सपने की बात - महादेवी वर्मा

Admin
By -
0

अलि अब सपने की बात - महादेवी वर्मा

अलि अब सपने की बात -
हो गया है वह मधु का प्रात !

जब मुरली का मृदु पंचम स्वर,
कर जाता मन पुलकित अस्थिर,
कंपित हो उठता सुख से भर,
नव लतिका सा गात !

जब उनकी चितवन का निर्झर,
भर देता मधु से मानस-सर,
स्मित से झरतीं किरणें झर झर,
पीते दृग - जलजात !

मिलन-इंदु बुनता जीवन पर,
विस्मृति के तारों से चादर,
विपुल कल्पनाओं का मंथर -
बहता सुरभित वात !

अब नीरव मानस-अलि गुंजन,
कुसुमित मृदु भावों का स्पंदन,
विरह-वेदना आई है बन -
तम तुषार की रात !

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!