समष्टि आर्थिक विश्लेषण का महत्व सौद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दृष्टि से सन् 1929 की विश्वव्यापी महा मंदी के बाद अत्यधिक बढ़ गया था। पिछले कुछ वर्षों में इसमें तीव्रगति से वृद्धि हुई है। समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व (Importance of Macro Economics); समष्टि आर्थिक विश्लेषण का अध्ययन कई कारणों से महत्वपूर्ण है, जो निम्नलिखित दिये गये हैं :
अर्थशास्त्र की कार्यप्रणाली को समझाने में सहायक:
अर्थशास्त्र की कार्म-प्रणाली समझने के लिए समष्टि आर्थिक चरों का सम्पूर्ण अध्ययन आवश्यक होता है। अधिकतर देशों की समस्याएँ सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में समग्र आय, समग्र उत्पादन, कुल रोजगार, सामान्य कीमत स्तर एवं भुगतान संतुलन से संबंधित होती है, जिनका अध्ययन एवं समाधान समष्टि आर्थिक विश्लेषण द्वारा किया जा सकता है। अर्थात सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की कार्य प्रणाली को समष्टि आर्थिक विश्लेषण के बिना समझना असंभव है।
आर्थिक नीति निर्धारण में सहायक:
आधुनिक युग में प्रत्येक देश के लोक-कल्याण से संबंधित सभी कार्य उस देश की आर्थिक नीति पर निर्भर करते हैं। एक लोक-कल्याणकारी सरकार आर्थिक नीतियों का निर्धारण इस प्रकार करती है, जिससे देश में रोजगार, उत्पादन एवं उपभोग के स्तर में वांछनीय प्रगति हो सके। सरकार की आर्थिक नीतियों के निर्धारण में अर्थव्यवस्था के विभिन्न अंगों के आँकड़ों का संग्रहण एवं विश्लेषण आवश्यक होता है। समष्टि आर्थिक विश्लेषण के द्वारा ही बड़े-बड़े आर्थिक चरों का अध्ययन करके उपयुक्त नीति का निर्धारण किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय तुलना में सहायक:
समष्टि आर्थिक विश्लेषण विभिन्न देशों की कुल माँग, राष्ट्रीय आय, कुल उपभोग, कुल बचत एवं कुल निवेश के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय तुलना में सहायता करता है।
आर्थिक नियोजन में सहायक:
अधिकांश विकसित एवं विकासशील देशों ने तीव्र आर्थिक विकास के लिये आर्थिक नियोजन का सहारा लिया है। आर्थिक नियोजन के लिए निश्चित उद्देश्यों का निर्धारण, संसाधनों का आबंटन एवं उपभोग आवश्यक होता है। नियोजन के लिये आवश्यक सामग्री समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा ही प्रदान की जाती है एवं इसके द्वारा ही साधनों का अनुकूलतम प्रयोग एवं आबंटन हो सकता है।
सामान्य बेरोजगारी के विश्लेषण में सहायक:
किसी देश का सामान्य रोजगार का स्तर प्रभावपूर्ण माँग पर निर्भर करता है जो कि कुल उपभोग फलन एवं कुल विनियोग फलन पर निर्भर है। अत: किसी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी प्रभावपूर्ण माँग में कमी के कारण होती है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए कुल उपभोग एवं कुल विनियोग में परिवर्तन करना आवश्यक होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि समष्टि आर्थिक विश्लेषण के द्वारा ही किसी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के कारणों, प्रभावों एवं इसे दूर करने के उपायों का अध्ययन किया जाता है।
मौद्रिक समस्याओं के विश्लेषण में सहायक:
समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से ही एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक समस्याओं का विश्लेषण करके उनका समाधान किया जा सकता है। अर्थव्यवस्था में मुद्रा के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों से समाज के विभिन्न वर्गों को बचाने के लिये उपयुक्त मौद्रिक नीति एवं प्रशुल्क नीति अपनायी जाती है, जो कि समष्टि अर्थशास्त्रा का ही एक महत्वपूर्ण अंग है।
व्यापार चक्रों के विश्लेषण में सहायक:
व्यष्टि अर्थाशास्त्र के द्वारा किसी भी अर्थव्यवस्था में आने वाले व्यापार चक्रों का विश्लेषण किया जा सकता है और अर्थव्यवस्था पर व्यापार चक्रों के द्वारा पड़ने वाले बुरे प्रभावों से बचाया जा सकता है। व्यापार चक्रों के कारणों के विश्लेषण करके सरकार व्यापार चक्रों को रोकने के लिये आवश्यक उपाय कर सकती है। ये उपाय भी समष्टिमूलक होते हैं।
व्यष्टि अर्थशास्त्र के विकास में सहायक:
अनेक व्यक्तिगत समस्याओं के विश्लेषण के लिये समष्टिगत अध्ययन आवश्यक होता है। उदाहरणार्थ, किसी विशेष उद्योग में मजदूरी का निर्धारण अर्थव्यवस्था में प्रचलित सामान्य मजदूरी स्तर से प्रभावित होती है। अत: व्यक्तिगत समस्याओं का हल भी समष्टिमूलक विश्लेषण में निहित है।