अर्थशास्त्र का परिचय अर्थ, परिभाषा (Introduction to Economics, Meaning, Definition)! अर्थशास्त्र का शाब्दिक अर्थ है धन का शास्त्र अर्थात धन के अध्ययन के शास्त्र को अर्थशास्त्र कहते हैं। मुख्यत: इसके पाँच स्तंभ होते हैं : उपभोग, उत्पादन, वितरण, विनिमय एवं लोकवित्त। आधुनिक युग में इन सभी पाँच स्तंभों का अध्ययन कीमत सिद्धांत के अंतर्गत किया जाता है। आधुनिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को मुख्यत: दो भागों, व्यष्टि अर्थशास्त्र (कीमत सिद्धांत) एवं समष्टि अर्थशास्त्र (आय सिद्धांत) में विभाजित किया गया है। व्यक्तिगत इकाइयों- एक उपभोक्ता, एक उत्पादक, एक फर्म का अध्ययन हम व्यष्टि (सूक्ष्म) अर्थशास्त्र के अंतर्गत करते हैं, जबकि समग्र इकाइयों- राष्ट्रीय आय, बचत, निवेश, रोजगार इत्यादि का अध्ययन समष्टि (बृहत) अर्थशास्त्र के अंतर्गत करते हैं। इस प्रकार, अर्थशास्त्र उन सभी आर्थिक इकाइयों के व्यवहार एवं आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन है, जो व्यक्तिगत रूप से एवं समग्र रूप से कार्य करती हैं।
कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों के द्वारा इसकी निम्न परिभाषा दी गई है,
एडम स्मिथ के अनुसार, "धन के शास्त्र को अर्थशास्त्र कहते हैं।"
मार्शल के अनुसार , "अर्थशास्त्र, मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन है।"
रोबिंस के अनुसार, “अर्थशास्त्र एक विज्ञान है, जो मानव व्यवहार का अध्ययन उसकी आवश्यकताओं(इच्छाओं) एवं उपलब्ध संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग के मध्य संबंध का अध्ययन करता है।"
मुख्यत: कोई भी समाज तीन प्रकार की आर्थिक समस्याओं का सामना करता है:
- क्या उत्पादन किया जाए?
- कितना उत्पादन किया जाए?
- किसके लिए उत्पादन किया जाए?
उपरोक्त समस्याओं को समझने एवं विश्लेषण करने में अर्थशास्त्र सहायता करता है। प्रबंधकीय अर्थशास्त्र का परिचय, परिभाषा और अर्थ।