बाजार मांग को परिभाषित कीजिए?

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बाजार मांग को उपभोक्ताओं या सेवा/उत्पादों की किसी निर्माता द्वारा विभाजित किए जाने वाले समुदाय की एक अनुमानित चाहत के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें उपभोक्ताओं की चाहत, उनकी आर्थिक क्षमता, और अन्य आर्थिक तत्वों का प्रभाव होता है। यह एक समृद्धि या वृद्धि की दिशा में एक मानक है जिसका अध्ययन विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में हो सकता है, जैसे कि विपणीय नीति, उत्पादन योजनाएं, और मूल्य निर्धारण।


बाजार मांग को प्रभावित करने वाले कुछ महत्वपूर्ण कारकों में शामिल हो सकते हैं:


  • उपभोक्ता की पसंदगीयाँ: उपभोक्ताओं की पसंदगीयाँ और चाहतें उत्पादों और सेवाओं की मांग को प्रभावित कर सकती हैं।
  • आर्थिक स्थिति: उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति उनकी खर्च क्षमता और इस परिपर्णता में बदलाव ला सकती है, जिससे मांग में परिवर्तन हो सकता है।
  • विनिर्माण क्षमता: उत्पादकों की विनिर्माण क्षमता भी मांग को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि ज्यादा उत्पादन से मांग पूरी हो सकती है या उत्पादकों को आर्थिक संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
  • बाजारी प्रतिस्थिति: विभिन्न विपणीय स्थितियों में, बाजार की प्रतिस्थिति और प्रतिस्थिति की अधिसूचना भी मांग को प्रभावित कर सकती है।
  • समृद्धि की दिशा में बदलाव: आर्थिक बदलाव और समृद्धि की दिशा में होने वाले बदलाव भी मांग को प्रभावित कर सकते हैं।


मांग की परिभाषा विशिष्ट संदर्भ में अलग हो सकती है, जैसे कि उत्पादों, सेवाओं, या विभिन्न आर्थिक समुदायों के लिए मांग। इसलिए, विभिन्न आर्थिक विज्ञानों में, बाजार मांग की परिभाषा अलग-अलग हो सकती है।

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